जूतों की कहानी - लेखनी प्रतियोगिता -13-Apr-2022
यारों! आज एक चटपटी दास्तान सुनाते हैं
जूतों का महत्त्व हम आप सबको समझाते हैं।
श्रीराम के जूते अर्थात खड़ाऊँ ने किया राज
प्रतीक स्वरुप आसन पर हुआ विराजमान।
समझो जूता बन सके शासन का अधिकारी
मान पाता राजा सम जनता खड़ी बेचारी।
मिर्गी का दौरा जब भी मानव को है सताए
दौड़ सभी पड़ते ले जूता, देते उसे सुघाएँ।
पल भर में जूता औषधि बन असर दिखाता
मिर्गी का मरीज पल में रोग से मुक्ति है पाता।
शादी में जीजाजी के जूते बन जाते अनमोल
जिन्हें चुराने हेतु सालियाँ करती अनेक झोल।
लुका-छुपी के खेल में चोरी न होती बुरी बला
मिले मुँहमाँगे दाम, जूते न खजाना हो मिला।
इतने में ही खत्म न हो पाता जूते का गुणगान
भ्रष्टाचारी को सबक सिखा बढ़ती इसकी शान।
खाकर इसको रिश्वत की भूख है मिटती जाती
चाहकर भी दुनिया इससे दूरी ना बना पाती।
जूते का हार पहन कुकर्मी को अकल है आती
कुकर्मों की काली छाया न फिर कभी सुहाती।
देख जूते को जीवन भर पापों से कतराता
अपराध की दुनिया का मार्ग है भूल जाता।
जूता पाकर खिलाड़ी भी है बड़ा इतराता
सर्वाधिक गोल स्कोर का पुरस्कार पाता।
गोल्डन बूट देख अभिमान से सर उठाता
यूँ जूता खेल जगत का राजा बन जाता।
हॉलीवुड भी जूता सम्मोहन से रहा न दूर
पाकर 'गोल्डन बूट अवॉर्ड' बढ़ जाता नूर।
सर्वश्रेष्ठ अभिनेता को भी यह है बड़ा लुभाता
पाने को इसको जीवन भर श्रम करता जाता।
समझे अब जूता नहीं पाँव का एक सामान
तो चलो आज से देना इसको बड़ा सम्मान।
कीचड में संभालकर इसको उठा लेना हाथ में
रखना सहेजकर इसको सदा अपने साथ में।
डॉ. अर्पिता अग्रवाल
Dr. Arpita Agrawal
15-Apr-2022 12:23 PM
आप सभी का हार्दिक आभार मेरी लेखनी को प्रोत्साहित करने हेतु 💐💐😊
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Shrishti pandey
15-Apr-2022 09:16 AM
Very nice
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Abhinav ji
15-Apr-2022 08:29 AM
Nice👍
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